- 63 Posts
- 147 Comments
एक बार फिर से आंधी उठी है,
देश की जनता फिर से जागी है I
भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंधी आई है,
लहर परिवर्तन की चली है I
देश को लूटा जिन लोगो ने,
जिन लोगो ने माना देश को जागीर I
उन भ्रष्ट, लोभी, दम्भी की अब खतम होगी शख्शियत,
जाग जाओ ओ दम्भी नेता आया है तुम्हारा अन्ना I
खदेड़ देगा तुम्हे जड़ समेत मत मापों उसका कद,
गाँधीवादी कहलानेवाले गाँधी की सादगी को समजो I
जनता के सेवक कहलाने वाले जनता के प्रति अपने कर्तव्य को समाजो,
गाँधी ने माना जनधन को जनता का ही I
पर तुमने उसके नाम पर लूटा है जनता के धन को,
भरे है अपने भंडार I
आम जनता के पैसो से किये है खड़े शीशो के महल,
जनता तरसे रोटी कपडा मकान को आप तरसे है धन को I
पर अब आई है नौबत तुम्हारी जनता जागी है,
आई नौबत ओ भ्रष्टाचारी भागे तेरे अंत को दुनिया सारी I
युवा जुड़ा जुड़ा है वृद्ध जुड़ा है पूरा भारत सारा,
आतंक और भ्रष्टाचार के के खिलाफ एक हुआ है भारत सारा I
मत लो परीक्षा हम जनता की हम जनता ही है सर्वोपरि,
लोकशाही के इस देश में हमारी ताकत है एक सच्ची I
जनता ने बनाया है तुम्हे जनता मिटा सकती है तुम्हे,
इस जनता ने पलते है तख़्त और किये है कई बदलाव I
आजादी के बाद चली है परिवर्तन की ऐसी लहर,
एक आंधी उठी है देश में जो लगी है मनभावक I
इस आंधी को न खत्म होने देना न बुझने देना आक्रोश की ज्वाला,
भ्रष्टाचार के भस्मासुर को बस खत्म करना है एक अरमान I
बहोत सहा हमने अत्याचार बहोत सहा भ्रष्टाचार अब आ गया है वक़्त,
ख़त्म करने को नेताओ के पापाचार I
पंजा हो या हो कमल या हो साइकिल हाथी की सवारी,
सब ने लूटा इस देश को समजा है अपनी जागीर I
पर बहोत हुआ उनका यह खेल अब खत्म हुआ है इन्तेजार,
एक अन्ना ने हिलाया है दिल्ही के दरबार को I
जागी है क्रांति की ज्वाला जागा है विश्वास, ख़त्म करने को इन,
भ्रष्टो को जागा है पूरा संसार I
एक आंधी फिर से उठी है, लहर परिवर्तन की चली है,
एक नए सवेरे की आश की उम्मीद सी जगी है I
जय हिंद
गौरव पाठक
Read Comments