Menu
blogid : 2003 postid : 165

जन जाग्रति के लिए जरुरत है परिपक्व पत्रकारित्व की

HALLABOL
HALLABOL
  • 63 Posts
  • 147 Comments

भारत की आज़ादी में अगर किसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है तो वोह समाचार दैनिक पत्र की I उस समय की कलम में तलवार से भी ज्यादा धार थी I अंग्रेज हुकूमत को जितना जर्मनी से डर नहीं लगता था उतना हिन्दुस्तानियो की कलम से लगता था I उस समय आज की तरह न तो मोबाइल का नेटवर्क था नहीं टीवी चेनल न ही कंप्यूटर या लैपटॉप थे I ऐसे में लोगो जोड़ने का बस एक ही साधन था और वोह था समाचार पत्र I उस समय हर एक प्रान्त में समाचार पत्र की भरी मांग रहती थी और स्थानीय भाषा में क्रन्तिकारी अपने सन्देश आम जनता तक पहुचाते थे और अपनी रणनीति से वाकिफ करते थे I समाचार पत्र वाकई में आज़ादी के लिए एक महत्वपूर्ण अंग बन गया था I मेरे हिसाब से समाचारपत्र एक क्रन्तिकारी की भूमिका निभाई थी I

लेकिन समय बदलता गया I आज़ादी के बाद भारत में भी बदलाव आते गए I धीरे धीरे भारत में भी बदलाव आये और टीवी, चेनल, कंप्यूटर,लैपटॉप मोबाइल जैसे आधुनिक एवम विध्युकीय संसाधनों के चलते समाचारपत्र के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है I आज टीवी पर ही इतनी न्यूज़ चेनल है की हर एक को कोई भी नयी खबर मिनटों में ताज़ा खबर के तौर पर मिल जाती है I यानि जब समाचारपत्र तक यह खबर आती है तब तक सबको इन खबरों का पता चल जाता है I आज हमको देश विदेश की हर खबर मिनटों में मिल जाती है I जो की वाकई में एक अच्छी बात है I इससे जो पढना लिखना नहीं जानते वोह भी देश विदेश की ताज़ा हालत से वाकिफ रहते है I जो की एक स्वस्थ समाज और देश की प्रगति के लिए अच्छी बात है की उसका नागरिक हर एक खबर से वाकिफ हो I

और इन सबके पीछे एक परिबल है जिसको पत्रकार कहते है I पत्रकार की परिपक्वता और उसकी पत्रकारित्वता से वोह समाज में क्रांति लाने का काम करता है I निष्पक्ष पत्रकारित्व स्वस्थ समाज और देश के लिए जरुरी है I किसी भी जात पात, राजनीती पक्षपात, बिना किसी प्रलोभन यह सब चीजे स्वस्थ एवम परिपक्व पत्रकारित्व के लिए जरुरी है I लेकिन आज के समय में पत्रकारित्वता एक बिसनेस के रूप में आगे है I उसका अंदाजा हमे दिन ब दिन बढ़ रही न्यूज़ चेनल की संख्या से पता चलती है I रोज न रोज कोई न कोई अख़बार सामने आता है I लेकिन आज कुछ चीजे पत्रकारित्व के नाम पर कलंक समान है I जैसे की बार बार गोधराकांड को याद करवाना, बार बार २६/११ के हमले के आतंकी कसब को दिखाना, किसी एक संस्था या पक्ष को जान्बुजकर आतंकी बनाने पर उतर आना और किसी युवराज को न चाहकर भी लोकप्रिय बनाने पर उतारू होना वाकई में यह सब एक चिंता की बात है I आज जिस तरह से पत्रकारित्व हो रही है ऐसा लगता है की यह समाज को जोड़ने से ज्यादा तोड़ने का काम कर रहे हो I और सब से बड़ी बात मनो यह किसी एक राजनीतिक पक्ष के कोई प्रचारक हो उस तरह उसके गुणगान गाना और उसके युवा नेता को हीरो बनाना I उसी तरह किसी राज्य के युवा मुख्यमंत्री जिसने बिना किसी स्वार्थ के अपने राज्य के विकास के कामो की अनदेखी कर उसके समय में हुए दंगे को बार बार याद दिलाकर वह की जनता के बिच बढ़ रहे भाईचारे को दूर करना I मतलब आज के समाचार और लेखो पढ़ कर लगता है की मानो यह किसी पक्ष के प्रचारक हो और उनके लिए चुनावी माहौल बना रहे हो I मतलब पक्षपाती माहौल आज के पत्र्कारित्व में दीखता है जो की एक दुखद बात है I किसी भी देश की प्रगति और उसके जन में जाग्रति के लिए पत्रकारित्वता एक महत्वपूर्ण अंग है जो आसानी से समाज के आखिरी कक्षा के जन तक भी पहुच सकता है I अगर वही पक्षपात की बात करेगा तो जायज है आगे चलके समाज में भी ऐसा माहौल खड़ा होगा और एक दुसरे के प्रति अविश्वाश का माहोल खड़ा होगा I जिसकी जीती जगती मिसाल जम्मू और कश्मीर है I वहा बार बार सेना के काम की निंदा की जाती है लेकिन जन कोई अलगाववादी नेता हिंदुस्तान के खिलाफ आवाज़ उठाता है तो उसे मनो वोह देशभक्ति का काम कर रहा हो ऐसे दिखाया जाता है I लगातार किसी एक पार्टी के नेताओ को कौभांड से बचाना लेकिन दूसरी पार्टी के नेता के कौभांड को छोटा हो फिर भी बड़ा करके दिखाना वह आज के हमारी न्यूज़ चेनलो की खासियत है I और उनसे हम हमारे स्वस्थ समाज की कल्पना करे वोह एक मिथ्या है I

बस अंत में किसी भी समाज और देश की प्रगति के लिए हमे परिपक्व पत्रकारित्वता की जरुरत है I जो समाज में किसी भी जात के प्रलोभन के बिना या जातपात को भुलाकर किसी भी राजनीती पक्ष की शेह में आकर अपने पत्र्कारित्व को निष्पक्ष रखे I जो खबर हो उसे सच और साबुत के अधर पर दिखाए I हर एक के कम को सराहे और समाज के हर एक धर्म और जात के लोगो को एक समान समज कर हर एक के पक्ष को समजे I तभी जाके जन जन में जाग्रति आयेगी और हमारे देश एवम समाज का विकास होगा I और इसके लिए जरुरत है एक परिपक्व पत्रकारित्व की I

क्यूंकि तलवार से ज्यादा कलम की धार में ताकत होती है I तलवार तो लोगो की जान लेती है लेकिन कलम लोको के अज्ञान को मिटती है I और यह कलम में वोह ताकत है की बड़ी से बड़ी सल्तनत के तख्ते को भी यह पलट सकती है I क्यूंकि तलवार से सर कलम किये जाते है और कलम से लोको के अंधकार को I

जय हिंद
गौरव पाठक I

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh