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वर्तमान समय में बिखर रहे है परिवार और बिखरते हुए पारिवारिक रिश्ते

HALLABOL
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हमारे भारत देश में आज भी एक संयुक्त कुटुंब की परंपरा मौजूद है I भारत में सदियों से संयुक्त कुटुंब की प्रथा चली आ रही है I एक बाप की एक से ज्यादा संताने एक साथ मिलजुल कर रहती थी I और हर एक सुख दुःख में एक दुसरे के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चलते थे I और घर में बुजुर्गो की एक इज्जत होती थी I चाहे भले ही सब लोग दिनभर एक दुसरे से अलग रहे रात को एक साथ मिलकर खाना खाते और घर में चल रही हर बात पर चर्चा करते I घर के बुजुर्ग एवम पुरुष मिल कर हर जिम्मेदारी को बाट लेते और अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में लग जाते I तभी चाहे शादी ब्याह हो या फिर किसी का अंतिम क्रिया का कार्यक्रम हर काम को घर के लोग ही निपटा देते और अपना यथा शक्ति योगदान देते I मतलब हर कार्य चाहे वोह छोटा हो या बड़ा जिम्मेदारी का बटवारा होने से वोह जल्दी ख़त्म हो जाती और उसका बोज भी हल्का हो जाता I घर का हर एक सदस्य अपने परिवार की ख़ुशी में खुश और दुःख में दुखी होता I संयुक्त कुटुंब से लोगो में एक दुसरे के प्रति आदर बढ़ता और इससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता I इसीलिए पुराने ज़माने में लोग कम आय में भी खुश थे एवम लम्बी आयु पाते थे I और उस समय में वृधाश्रम भी कम थे या न के बराबर थे I क्यूंकि लोगो की जरूरते कम थी और जितना था उतने में संतोष मानते थे I उस समय इतनी भाग दौड़ और प्रतिस्पर्धा भी कम थी I

लेकिन समय का चक्र बदलता गया I लोगो की जरूरते बढती गयी I जरूरतों के साथ साथ महंगाई और प्रतिस्पर्धा भी बढती गयी I लोगो को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा वक़्त अपने ऑफिस और व्यवसाय में लगाना पड़ गया I और इसी तरह लोग अपने में ही व्यस्त रहने लग गए I और इसी तरह से संयुक्त परिवार की भावना ख़त्म होने लग गयी I आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में भाई भाई को और माँ बाप भी एक बोज लगने लग गए I आज भाई भाई के घर भी मेहमान बन कर जाने लगा है I शादी ब्याह जैसे मौके पर भी जहा पूरा घर और परिवार एक होकर काम करता था वही आज कांट्रेक्ट ने ले लिया है I चाहे घर का कोई शुभ प्रसंग हो या फिर कोई अशुभ हर मौके पर कांट्रेक्ट I भाई भाई से दूर हो गया I माँ बाप की अहमियत भी घटने लगी I वृधाश्रमो की संख्या भी बढ़ने लगी I जिस माँ बाप ने हमे जन्म दिया और हमे अपने सुख चैन की परवाह किये बिना पढाया लिखाया और हमे काबिल इन्सान बनाया आज वही माँ बाप हमे बोज लगने लगे है I जो भाई हमारे कंधे से कन्धा मिला कर चल सकता है वही भाई आज जमीं जायदाद में हिस्सेदार होने के चलते हमे हमारे दुश्मन जैसा लगने लगा है I बहन को तो हम जन्म से ही परायी मानने लगे है और उसके वयस्क होते ही शादी कर देते है I मतलब आज चाचा, मामा, मौसी इन सभी रिश्तो की अहमियत कम होने लगी है I मनो यह सभी रिश्ते सिर्फ दिखावे के लिए है I बाकि अगर कोई भी परिवार का इन्सान घर आजाये तो आने से पहले हम जाने की बात करने लगते है I माँ बाप को भी हम मानो कोई अमानत हो उस तरह भाई भाई अपने घर रखने का समय निश्चित करते है और उतने समय तक ही रखते है I मतलब हमारी जरूरते बढ़ने के साथ साथ हम हमारे परिवार और पारिवारिक मूल्यों को भी भूल चुके है और आज अलग रहने की प्रथा चली है I

शादी होते ही बेटा और बहु घर से अलग हो जाते है I आज अकेले रहना अपने आप में एक अलग सा स्टेट्स माना जाता है I महानगरो में से तो संयुक्त कुटुंब की प्रथा कबसे ख़तम हो चुकी है I गलती हमारी भी नहीं है I आज महंगाई और प्रतिस्पर्धा ही इतनी है की अपनी नौकरी या व्यवसाय से एक दिन के लिए भी दूर रहना एक मुसीबत बन जाती है I न जाने कब अपनी रोजी से हाथ धोना पड़े I ऊपर से आज कल की शिक्षा और बच्चो की परवरिश भी इतनी मुश्किल है की हम एक कमाते है वह तीन खर्च होते है I ऐसे में जायज है अगर घर पर कोई भी खाली बता रहे तो वोह अखरता है I आज समय ही ऐसा है I

लेकिन हमे समय की दुहाई दे कर हमारे परिवार और उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियो को नहीं भूलना चाहिए I आज कल अकेले रहते हुए कई लोग ख़ुदकुशी और आत्महत्या करने लगे है I लोग अपने में ही मस्त रहने लगे है I इसीलिए आज कई ज्यादा लोग दिल, रक्त्परिभ्रमण, मानसिक बीमारी से परेशान रहने लगे है I और आज कल इन सब के चिकित्सको के वह लाइन लगने लगी है I जो संयुक्त कुटुंब की भावना लोगो के सुख का कारन थी आज उसके न रहने से उसके दुस्परिनाम भी हम देख रहे है I

हम समय की दुहाई देकर देकर हमारे परिवार के प्रति जिम्मेदारी नहीं भुला सकते I चलो मन साथ रहना मुमकिन नहीं लेकिन हर त्योहारों पर एक साथ मिल सकते है I हर प्रसंग में एक दुसरे के साथ खड़े रह सकते है I और एक दुसरे के सुख दुःख में हिस्सेदारी कर सकते है I हमारा देश अपनी संस्कृति और उसकी पारिवारिक रचना के लिए जाना जाता है I आओ हम इसे बनाये रखे और हम हमारे परिवार और सदस्यों के प्रति वफादार रहे I क्यूंकि अगर हमारा परिवार स्वस्थ होगा तो एक आदर्श समाज का निर्माण होगा और अगर समाज में आदर्श्ता होगी तो देश भी आगे बढेगा I क्यूंकि देश की प्रगति में समाज भी एक महत्वपूर्ण अंग है I बस एक ही विनती है आप चाहे कोई रिश्ते को मने न मने माँ बाप को मत दूर करना I वोही है जो हमे इस दुनिया में लाये और हमे काबिल बनाया I
वसुधैव कुटुम्बकम I

जय हिंद
गौरव पाठक

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