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शहीद सुग्रीव चौधरी सरकारी शिक्षा अभियान की पोल खोलनेवाला एक सरस्वती पूजक

HALLABOL
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हमारी सरकार कई ऐसी योजनाओ को बनाती है जो की देश के गरीब और जरुरत मंदों के बच्चो को मुफ्त में शिक्षा देने का एवम उसको एक अधिकार का रूप देने को उत्सुक है I उन्होंने उसे कर भी दिया है और देश के सभी बच्चो के लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य किया है I जो वाकई में एक अच्छी बात है और किसी भी देश की प्रगति के लिए उसका भविष्य शिक्षित हो वोह एक अनिवार्य ही नहीं एक जरुरत भी है I इसीलिए हम आज कल सरकारी विज्ञापनों को देख रहे है I जिसमे शिक्षा को बढाने के लिए काफी जोर दिया जाता है जिसका काफी हद तक अमल भी हुआ है I

लेकिन कुछ दिन पहले एक निजी न्यूज़ चेनल पर आई एक खबर ने चौका दिया I जिसमे लखनऊ के ठाकुरगंज कसबे के एक किशोर ने शिक्षा के लिए अपनी जान दे दी I बात यह थी की सुग्रीव चौधरी नामक एक किशोर जो की ६ कक्षा का एक होनहार छात्र था उसने अपने आप को फांसी पर लटकाकर अपनी जीवन की नैया को बिच मजधार में ही डूबा दी I उस किशोर के पास ३०० रुपये भी नहीं थे जिससे अपनी स्कूल की फीस दे सके I वोह एक गरीब परिवार में पैदा हुआ एक गरीब था I उसकी इसी गलती ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया I

देश की सरकार और एनी राज्य सरकारों उन सब के सर पर एक कलंक है जप दावा करते है की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है और जरुरत मंदों को मुफ्त में शिक्षा का प्रावधान दिया गया है I ऐसा होता तो आज सुग्रीव चौधरी जिन्दा होता I हकीक़त कुछ और है I आज शिक्षा एक व्यापर बन गया है जो कभी मंदा नहीं होता I जिस में सब की मिली भगत है I इसमें भी सरकारी बाबुओ और नेताओ की मनमानी चलती है I जिसके पास पैसा वोह पढाई में अव्वल नहीं होगा तो भी उसे मनचाही पदवी मिल जाएगी और जो सच में पढाई में अव्व्वल है उसे चाहे न चाहे दूसरी पदवी से संतोष करना पड़ता है या उसे पढाई बीच में छोड़ कर घर की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है या अपने सपनो को बीच में ही छोड़ना पड़ता है धन के कारन I पहले जैसा नहीं की शिक्षा को कोई भी जात के प्रलोभन के बिना दिया जाये I आज यह एक व्यापर बन गया है जो सभी सरकारी योजनाओ और अभियान के लिए कलंक है I

इसीका शिकार मासूम सुग्रीव चौधरी बना है जो शिक्षा को हासिल कर के अपनी गरीबी को दूर करने का सपना देख रहा था लेकिन जालिम स्कूल प्रशाशक के चलते या फिर जालिम व्यवस्था के कारन उसने अपनी जान दे दी I स्कूल के प्रशाशक के द्वारा फीस की मांग के चलते और उसे न दे पाने की चलते उसे अपने सपने को ख़त्म करना ही मुनासिफ लगा I उसे अपने शिक्षा के हक को प्राप्त करने से इस फीस ने रोका I समाज नहीं आता सरकार इतने पैसे शिक्षा के लिए जो भी खर्च करी है वोह कहा जाता है I अगर वाकई में खर्च का कोई हिसाब नहीं तो इन योजनाओ का कोई मतलब नहीं जो योजना किसी जरुरत मंद को शिक्षा न दिला सके I ऐसी योजना सिर्फ कागजो पर ही है उसका असरकारक अमल करवाना भी जरुरत है I शिक्षा प्राप्त करने का हक सबको है यह सिर्फ पैसेवालों का अधिकार नहीं I

सुग्रीव चौधरी की मौत उन सब के लिए एक उदाहरन है जो इस वहम में है जो मानते है सबको शिक्षा मिल रही है I उसी शिक्षा को प्राप्त करने के लिए उसके एक साधक ने अपनी जान दे दी I में उस सुग्रीव चौधरी को इस लिए सलाम करता हु की उसने उस सिस्टम को उजागर कर दिया है I दुःख भी है की उसने आत्महत्या की लेकिन उसके इस कदम ने लोगो की आँखे खोलने का काम किया है I

खेर अंत में एक बाद यह कोई राजनीती का कोई मुद्दा नहीं यह एक सामाजिक विषय है I देश के उन सभी बुद्धिजीविओ को मेरा एक सवाल है की हम कुछ करे न करे लोगो को शिक्षा मिले ऐसा करना चाहिए I अगर हमे देश को सच में आगे लाना होगा तो सब को शिक्षित करना होगा I आगे से ऐसा न हो उसका भी ध्यान हमे रखना होगा और इस शहीद सुग्रीव चौधरी की शहादत को ऐसे ही व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए I
आखिर पढ़ेगा इंडिया तो आगे बढेगा इंडिया I

जय हिंद
गौरव पाठक

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