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हम क्या हमारे मत की कीमत जानते है?

HALLABOL
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भारत एक लोकशाही देश है जहा जनता अपने प्रतिनिधि को चुनती है I लोकशाही में सबसे बड़ा हथियार मत होता है जो एक परमाणु बम से भी ताकतवर है I इस मत के सहारे अच्छे अच्छे नेता की मति को ठिकाने लाया जा सकता है I पहले के समय में चुनाव को राष्ट्रिय पर्व के तौर देखा जाता था I चाहे चुनाव लोकसभा के हो या विधान सभा या फिर नगर निगम के चुनाव एक पर्व सा माहौल बना देती थी I लोग भी अपने चुनिन्दा नेता को सही जगह पहुचने के लिए अपने मत का पूरा इस्तेमाल करते थे I और उस समय लोको में एक क्रातिकारी भावना थी I उस समय के लोकनायको के पास अपने नाम को दर्ज कारवाने के लिए भी जनता से चंदा लेना पड़ता था I और जनता ही अपने चंदे से अपने नेता का चुनाव प्रचार करते थे I उस समय के नेता वाकई में जनता के सेवक थे I वाकई में लोकनायक की उपाधि उनको जचती है I

लेकिन जबसे देश में कांग्रेस का शाशन शुरू हुआ है मतलब १९८४ के बाद भारत की राजनीती ने एक नयी राह पकड़ी है I भारत की राजनीती मेंन कोमवाद और भ्रष्टचार और विदेशी चंदे जैसे तत्व शामिल हुए I बोफोर्स के कौभांड के चलते देश की राजनीती में हडकम्प मच गया I और देश की राजीति में विदेशी चंदे का भी मोल बढने लगा I विदेशी कंपनिया अपने फायदे के लिए हर पार्टी को चंदा देने लगी और अपने कम निकलवाने के लिए चदे देने लगी और जिस देश के नेता जनता के चंदे से चुनाव जीतते थे वोह अब विदेशी कंपनियो के चंदे से चुनाव जितने लगे I आज देश की राजनीती में उम्मीदवार का चयन उसकी काबिलियत से नहीं उसके पास उसकी जाती के मत एवम उसके पास उपलब्ध नोट से होता है I नीतिमत्ता का कोई मोल नहीं रहा I

रहिसाही कसार बेमियाद भ्रष्टाचार और सरकार के निक्कमेपन ने करदी I जिस तरह से भारत की राजनीती से जनता के संलग्न मुद्दे जैसे रोटी, कपडा, माकन और अन्य प्राथमिक सुविधा जैसे चिकित्सा, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दे गायब हो गए है और उसकी जगह गोधरा कांड, अयोध्या कांड जैसे मुद्दों ने ले लिया है I आज की राजनीती में सिर्फ दबंग नेताओ ने ले लिया I जब तक आपके पास एक अच्छा खासा आपराधिक इतिहास न हो तब तक आप चुनाव नहीं लड़ सकते I और हो भी क्यूँ न ऐसे दबंग के मुह कौन लगेगा और ऐसे नेता अपने पॉवर के जोर पर चुनाव जित जाते है I हम भी जातिवाद, कोमवाद जैसे मुद्दे में आके अपने मत को देते है I और जो इन्सान सही है वोह सिर्फ हार कर बेठ जाता है I

आज की राजनीत में जिस कदर से कोमवाद, जातिवाद और परिवारवाद जैसे मुद्दों ने जगह ली है राजनीती दिन ब दिन बिगडती जाती है I और उसमे हमारा भी हाथ है I देश के शिक्षित वर्ग ने तो मत देना कबसे बंध कर दिया है I इसी वजह से आज देश की राजनीती में कई दबंग नेता सत्ता पे विराजमन है I आज सच में हम अपने मत की किम्मत भूल गए है और हमारे प्राथमिक मुद्दों की जगह हम भी बेहूदा मुद्दों पर मत देने लगे है I खेर जो भी हो आज चुनाव एक अखाडा बन गया है जहा लोग आपस में लड़ते लड़ाते है और अपने स्वार्थ को पूरा करते है I
हम भी बदल गए है हम भी अपने मत की किम्मत भूल जो गए है अब सजा भी भुगतनी पड़ेगी I

हमे हमारे मत का मोल जानना होगा I उम्मीदवार को जितने से पहले हमे उसकी काबिलियत को जानना होगा I जातिवाद और कोमवाद भुला कर सिर्फ और सिर्फ सच्चाई और उम्मीदवार की शख्सियत को जानना होगा I तभी जाके हमारा देश आगे बढ़ पायेगा I वरना युही हम दुसरे मुद्दों पे भटकते रहेगे और जनता को महंगाई, आतंकवाद, कोमवाद जैसे मुद्दों का सामना करते रहना पड़ेगा I

“आज की राजनीती में है चोरो की बोलबाला, दबंग बन बेठे है शाहूकार सच्चे बन बेठे है बेहाल,
लोकशाही के इस मंच पर मची मक्कारों की होड़, लोकनायक बेठे है लाचार कोसते पूर्वजो की भूल I
प्रजालक्षी मुद्दे है भूले भूले है यह सदाचार, वैभव के विलास में खोये आज के यह जनता के नाथ,
दरिद्रो की दुर्दशा को मिटानेवाले खो गए है किसी तिमिर में, गिद्धों की इस टोली ने मचाई है ऐसी होड़ I
राजनीती की विसात पर जनता फसी है ऐसी खूब, भूल गयी है वोह भी अपने मत की शक्ति का मोल,
मत को भी ख़रीदा गया जनता को भी बेचा गया, जनता की खुमारी को लगा दिया नोटों का ताला I
जनता के दुःख का कोई हमदर्द नहीं, नहीं जनता की कोई आवाज़, सत्ता के मद के नशे में कुचला गया जनता का साद,
मंदिर मस्जिद बने चुनावी मुद्दे, बने है दंगे फसाद हथियार,रोटी कपडा मकान को किया गया दरकिनार I
जागो जनता जागो जनता आ गया है अब वक़्त जागने का, करो फैसला सही गलत का तोड़ो यह मायाजाल,
मांगो हिसाब निक्कामो से जो बन बेठे जबरदस्ती के सरताज, उठाओ अपनी आवाज़ को दिखाओ अपनी हस्ती की ताकत I
यह मत भूलो ऐ जनता हम है लोकशाही में सर्वोपरि, जनता बनती है सरकार सरकार नहीं बनरी जनता को,
इस मत में इतनी शक्ति है जो चाहे वोह कर सकती है, पल भर तख्ता पलट देती ऐसी इसकी हस्ती है I
अपने मत का मोल संजो सच्चे को ही मत दो, कोमवाद जातिवाद से ऊपर उठ काबिलियत का चुनाव करो,
आगे बढ़ना है इस विश्व में मिलाना होगा दुनिया से ताल इस ताल के साथ जो न चल पाए हो जायेगे हम स्पर्धा से बहार I
अपने जन के बीच में से उठाओ एक ऐसे जन को जो जन की बात को समज सके पंहुचा सके जन के दरबार
युवा शक्ति को एक मौका दो दो उसको आप ऐसा आधार देश के विकास में युवाशक्ति को बनाओ बरोबर का हिस्सेदार I

एक ही विनंती है आप सबसे की अब वक़्त आगया है देश में युवाशक्ति को मौका देनेका और हो सके उतने बुजुर्ग नेताओ को मान से विदा करने का I जिस देश की डोर बुजुर्ग के हाथ में हो वोह देश कैसे आगे बढ़ सकता है I इसलिए चुनाव चाहे कोई भी हो अपने मत का मोल समजो और लोकशाही के इस हथियार का सोच समजकर इस्तेमाल करो I

जय हिंद
गौरव पाठक

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