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हिन्दू-मुस्लिम जरा इस बारे में सोचेगे?

HALLABOL
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आज भारत में ज्यादातर दो धर्मो को मानने वाले लोग रहते है ! हिन्दू और मुस्लिम I लेकिन यही दो कोम के लोगो में आये दिन दंगे होते रहते है I कभी राम मंदिर बाबरी मस्जिद के नाम पर तो कभी गोधरा के नाम पर I भारत की आबादी के ८०% लोग हिन्दू है और १५% लोग मुस्लिम है I लेकीन अगर हम बात करे गरीबी की तो इस दोनों धर्म के कई परिवार गरीबी रेखा के निचे जी रहे है I

कई परिवार के पास रहने को छत नहीं, लोगो को २ वक़्त के खाने की भी तकलीफ है और हम मंदिर-मस्जिद के लिए इन सबको भूल गए है I दूसरी बात हम यह क्यूँ भूल जाते है की वही राम-रहीम ने कहा था की अगर मुझे ठुन्धना है तो इन्सान के रूप में ढुन्धो I किसी भूखे को खाना खिलाओ, प्यासे को पानी पिलाओ, उसमे में ही हु I मतलब साफ है हम मेंसे किसी ने न तो कुरान ठीक से पढ़ी है न तो हमने रामायण पढ़ी है I हमने वही देखा या पढ़ा जो हमे संत या मौलवी या नेता पढ़ना चाहते है I नजाने क्यूँ हम आज़ादी के ६३ साल बाद भी वही संकुचित मानसिकता के साथ जी रहे है I

आज भी मंदिर मस्जिद के नाम पर जगदा हो रहा है I आज भी वही दर लगता है कोमी दंगल का I कब तक हम इस मानसिकता के गुलाम रहेगे I आज हमारे लिए मंदिर मस्जिद नहीं हमारे लिए २ वक्त की रोटी, कपडा, माकन जरुरी है I अगर हम हमारे धर्म के लिए कुच्छ करना चाहते है तो आओ हम हमारे धर्म में से गरीबी, भुखमरी, निरक्षरता, अन्धविश्वास को रोके या ख़तम करे I जो पैसा हम मंदिर या मस्जिद बनाने के लिए खर्च करनेवाले है उसे उसमे न करके दिन दरिद्रो की सेवा करे I राम-रहीम इससे ज्यादा खुश होगे न की चार दीवारों में I क्यों आज इसाई, जैन, शिख धर्म के लोग भीख नहीं मांगते I क्यूंकि वह सब लोग एक दुसरे की मदद करने करते है I लेकीन हम हिदू मुस्लिम आपसमे लड़ने में सही बाज नहीं आते I इसी लिए आज भी हम पीछे है I

कोई भी राजनीतिक पक्ष किसी का भी सगा नहीं होता I यह वही राजनीती है जहा माँ अपने बेटे की हत्या करवाके सत्ता पर आई थी I यह वही राजनीती है जो अपने नेता की मौत के नाम पर वोट बटोरती है I जो अपने परिवार का नहीं हो सकता वो किसी धर्म का क्या होगा I हम ऐसे ही यह पार्टी मुस्लिम की यह पार्टी हिन्दू की करते है I इनको सिर्फ आपके वोट की चिंता है न की सच में आपकी I तभी तो आज भी हिन्दू मुस्लिम का बहुल वर्ग गरीब है मतलब आर्थिक तंगी से परेसान है I

अभी भी वक़्त है जग जाओ अब वक़्त आ गया है मंदिर मस्जिद का मुद्दा छोड़ो और अपने समाज को सुधरने में अपना योगदान लगाओ I आपस में एक दुसरे का खून बहाने की वजह आओ उस खून से एक नयी क्रांति लाये I भारत में से गरीबी, भ्रस्ताचार, बेरोजगारी, अन्धविश्वास, निरक्षरता जैसे मुद्दों के सामने लड़कर सारे समाज का कल्याण करे I यह मत भूलो अगर हमारे पुराने नेताओ ने आजादी के समय हिन्दू मुस्लिम किया होता तो आज भी हम गुलाम होते I आजादी के लिए दोनों ने कंधे से कन्धा मिला कर अंग्रेजो के सामने आवाज उठाई थी I तब जाके आज आजादी मिली है I

मंदिर-मस्जिद का फैसला आयेगा जो आना होगा I हमे शालीनता से इसका स्वागत करना चाहिए I अगर किसी भी धर्म को नापसंद हो तो आगे कानूनी लड़ाई के लिए विकल्प है I उसे ही अपनाओ I लेकिन एक बार मेरी बात पर गौर जरुर करना सबसे पहले क्या जरुरी है हमारे समाज में से अंधविश्वास, निरक्षरता, भ्रस्ताचार, भुखमरी हटाना की मंदिर-मस्जिद के नाम पर खून बहाना ? अब बरी आप की सोच जानने का है I

गौरव पाठक

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