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मंदिर मस्जिद के जगड़े में बीत गए है ६० साल,
राम रहीम के नाम पर मर गए कई इंसान I
कई पक्षों की राजनीती का मुद्दा बनी अयोध्या की विवादित जमीन,
नजाने क्या होगा अंजाम सोच के दर लगता है अबतो I
बेगुनाहों की जान से अगर बनेगे मंदिर या मस्जिद,
राम रहीम दोनों दुखी होगे बहेगे उनके आंसू I
कोई भी धर्म हमे यह नहीं सिखाता निर्दोशो का खून बहाना,
सिखाता है तो यही सिखाता आपसमे प्रेम रखना I
राम रहीम को मंदिर मस्जिद की जरूरत नहीं नहीं जरुरत है चार दीवारों की,
जरुरत है तो बस नजरिये की हर दिल में उसको ठुन्धने की I
वाकई में मानते हो अपने को सच्चा हिन्दू मुस्लिम तो सोच लो एक बात तुम दोनों,
न्यायलय के आदेश को मानना सर्वोपरि I
बहुत हुआ यह आपसी जगडा लोको के बीच बढ़ी है दुरिया,
आओ मिटाए बस यह दुरिया,आपने कलके भविष्य को हम दिलवाए एक सुनहरा मौका I
माना धर्म है जरुरी धर्म सिखाता जीने की राह सिखाता है,
पर इसके लिए जन की हानि नहीं है मनजुर I
गौरव पाठक
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