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भारत देश जो की एक प्रजातंत्र राष्ट्र है और आबादी भी यहाँ १अरब से ज्यादा है I भारत में किसी अन्य राष्ट्र की तुलना में ज्यादा युवाधन है I यानि की इस युवा वर्ग में १४ साल से लेके ४० या ४५ साल तक का वर्ग जो शारीरिक एवम मानसिक तौर पर शशक्त है और जो देश एवम अपने परिवार के विकास के लिए कार्य कर सकते है I मतलब अगर भारत के भविष्य की बात सोचे तो वोह बेहतरीन हो सकता है I भारत में पिछले कई सालो से शिक्षित वर्ग में बढ़ोतरी हुई है और तकरीबन ७० से ७५% युवा वर्ग पढना लिखना जानता है और अन्य देश की तुलना में व्यावसायिक क्षेत्र जैसे इजनेरी, चिकित्सकीय, प्रबंधन और भी कई कशेत्रो में अच्छी खासी प्रगति की है जिसके लिए उच्च स्तरीय शिक्षा का माहोल देश में मिल रहा है जो एक अच्छी बात है I मतलब भारत का युवा वर्ग तैयार है एक नयी युवा क्रांति के लिए I लेकिन अफ़सोस कुछ बाते है जो इस युवा वर्ग को रोक रही है और भारत का युवा वर्ग भारत में अपना योगदान देने की वजह विदेशी देशो में जाकर बस जाता है I निम्न लिखित मुद्दे है जो इस युवा वर्ग को देश से जुदा करने में जिम्मेदार है I में क्षमा चाहता हु अगर किसी को इन बातो से ठोस लगे लेकिन मुझे यह सही लगा इसलिए में यह बयां कर रहा हु I
१) आरक्षण:- भारत के बंधारण को बनाने वाले हमारे महान नेता श्री अम्बेडकरजी ने देश में उन पिछडो के लिए एक प्रावधान प्ररित किया गया था जिसमे यह बात कही गयी थी की देश के उन सामाजिक, शैक्षिण एवं आर्थिक पिछड़े वर्ग के लोगो को शिक्षा एवम रोजगार के लिए मौका दिया जाए ताकि उनकी जाती एवम उनका जीवन स्तर अन्य वर्ग की तरह हो जाए और समाज में उनकी भी गिनती हो I इसके लिए उन्होंने कुछ सालो के लिए आरक्षण का प्रावधान बनाया जिसमे इन सभी जाती के लोगो को स्कूल,कॉलेज और सरकारी दफ्तरों में कुछ पद खली रखे जाये यानि आरक्षित रखे जाये और उन्हें मौका दिया जाए I
अच्छी बात है की हर एक को आगे बढ़ने का अधिकार है और समाज में सर उठाकर जीने का अधिकार है I आज़ादी के बाद जो लोग पिछड़े थे उन्हें भी आगे लाना था और बिना इन पिछडो के उद्धार के भारत कभी आगे नहीं आ सकता इसलिए आरक्षण जरुरी है I लेकिन अब बात यहाँ आके रुकी है की यह प्रावधान पिछले ६० सालो से चला आ रहा है I लेकिन इस आरक्षण में कमी होने की वजह दिन ब दिन यह बढ़ता जा रहा है I इसके लिए सिर्फ दो ही चीजे जिम्मेदार है,
अ) या तो देश का पिछड़ा वर्ग समाज के साथ गुलना मिलना नहीं चाहता जो की कभी हरगीज़ नहीं हो सकता क्यूंकि हर कोई विकास करना चाहता है और हर कोई समाज में इज्जत से रहना चाहता है
ब) या फिर हमारी सर्कार इस आरक्षण को समाज के उस पिछड़े वर्ग तक पहुचने में नाकामियाब रही है I पिछड़े वर्ग के कुछ दमदार लोगो ने इस आरक्षण के सहारे अपने एवम अपने परिवार का विकास कर लिया और बाकि समाज तक इसको पहोचने नहीं दिया I और जिसमे क्रिमिलयेर की संख्या में बढ़ोतरी इस बात की गवाह है I और सरकार भी इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है अपनी राजनीती के लिए I
मतलब साफ है सरकार वाकई में उदास है इस बात पर और इस आरक्षण को घटाने की वजह बढ़ाये जा रही है I जिससे समाज के उच्च वर्ग के छात्र एवम युवा वर्ग में एक असंतोष सा माहोल है और जो विदेश गमन में परिणामित हो कर देश के युवा धन में कमी कर रहा है I हो भी क्यूना जब हाई स्कूल और कॉलेज में अच्छे मार्क्स लाने के बावजूद अगर अपनी मनपसंद कॉलेज या नौकरी में जगह न मिले तो फिर कोई भी हताश हो जायेगा और विदेशी देश इसी मौके का फायदा उठाकर भारत के युवाधन को अपने देश में मौका देके अपने देश के विकास का हिस्सा बनाते है I
मतलब बस एक है की अब आरक्षण को क्रमशः हटाना चाहिए और एक समय सीमा सुनिश्चित करके धीरे धीरे इसे दूर करना चाहिए I और मेरी उन सभी युवा वर्ग से अपील है चाहे वो उच्च वर्ग से हो या पिछड़े वर्ग से की मुश्किलें आती रहती है लेकिन हमे उसका सामना करना चाहिए I अगर ऐसा होता तो हमे आज़ादी आज भी नहीं मिलती I संस्कृत का एक श्लोक है की
“उद्यमेन ही सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथे I
नहीं सुप्तस्य सिह्नस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा I ”
मतलब सिर्फ दीमाग में कोई बात सोचने से वोह साकार नहीं होती उसके लिए महेनत करनी पड़ती है जैसे सिंह को शिकार करना ही पड़ता है मृग यानि हिरन सामने से उसके पास नहीं आयेगा I मतलब साफ है महेनत से अपनी एक पहेचन बनाना होगा और अपने देश के लिए भी कुछ करना होगा I आखिरकार कई युवाओ ने इस देश के लिए अपने जान की क़ुरबानी दी है और ऐसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए I लेकिन अब देश में हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को मानक बनाना चाहिए न की जाती या धर्म को I तभी युवाओ को विदेश जाने से रोका जा सकता है I
२) राजनीती माहोल:- भारत की राजनीती में आज वृद्ध लोगो की ही बोलबाला है और चंद गिने चुने युवा ही राजनीती में है I इसका एक कारन यह है की भारत में राजनीती का माहोल दिन ब दिन बिगड़ रहा है और सच्चे राजनीती लोगो की जगह सत्ता लालसा और धन के लालची लोगो ने ले ली है I राजनीती में देश भावना मिटकर परिवारवाद,जातिवाद और कोमवाद ने ले ली है I और आयेदिन जिस तरह से नेताओ के भ्रष्टाचार के किस्से बहार आ रहे है देश के युवा वर्ग में राजनीती के प्रति उदासीनता बढती जा रही है I अब भारत की राजनीती में पहले जैसे नेता नहीं है जैसे सुभाषचन्द्र बोस, शहीद भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य तिलक जैसे युवा नेता आज नहीं है I जो अपने होश और जोश से युवा वर्ग के मन में एक नयी क्रांति का संचार कर सके I लेकिन अफ़सोस आज़ादी के बाद नसीब में है यह बूढ़े नेता जो खुद की हिफाज़त ठीक से नहीं कर सकते तो युवा को क्या देशभक्ति या क्रांति की बाते शिखायेगा I
देश के युवाओ को ही अपने आप देश भक्ति और क्रांति के पथ पढने होगे I और राजनीती को भी एक कारकिर्दी मानकर देश की राजनीती में योगदान देना होगा I आज हमारे पास कंप्यूटर, इन्टरनेट, मोबाइल जैसे माध्यम है जिसके जरिये हम राजनीती में अपना योगदान दे सकते है I युवा को आगे आना चाहिए और राजनीती में अपने हक़ के लिए लड़ना चाहिए क्यूंकि भारत के बंधारण में यह बात कही गयी है की देश में राज्य के मुख्यमंत्री बनने के लिए २५ साल की और प्रधान मंत्री के लिए ३५ साल की आयु होनी चाहिए I मतलब साफ है अगर आप में निष्ठां और उत्साह है और देश के लिए कुछ कर दीखने की तमन्ना है तो आप नेता बन सकते है I क्यूंकि अब हक़ छिनने से ही मिलेगा वरना सहते रहना पड़ेगा इन बुड्ढो को I
३) कोमवाद:- भारत में यह एक सबसे बड़ी समस्या है जो आज के युवा वर्ग को खिन्न कर रही है I आये दिन देश में मंदिर मस्जिद को लेकर बवाल नेताओ द्वारा धर्म पर टिप्पणी के कारन जाने अनजाने में युवाओ को भी शामिल होना पद रहा है और जिस युवा वर्ग के हाथो में देश की प्रगति की कमान होनी चाहिए उन हाथो में धर्म के नाम पर हथियार थमा दिए जाते है और भाईचारे की जगह कोमवाद और शंका ले लेता है I इसका भी एक उपाय है भारत में अंतर धर्मीय एवम ग्नातीय विवाह को छुट देनी चाहिए जिससे यह जगड़े ही बंध हो जायेगे I युवाओ को इस मामले में एकदम सोच समजकर आगे बढ़ना होगा I और ऐसी किसी भी भावना में न बहकर सोचसमजकर निर्णय लेना होगा I और भारत का युवा वर्ग वाकई में समजदार है जो सच में इस मामले में एक है और ज्यादातर युवावर्ग राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मान रहा है I यह वाकई में एक अच्छी और सकारात्मक बात है जो भारत जैसे देश के लिए बड़ी बात है I
और भी चीजे है जैसे बेरोजगारी, सरकारी नौकरियो में जगह पाने की लिए रिश्वत जैसी बाते भी कारन है युवा को देश से दूर करने के लिए I
लेकिन युवाओ से मेरी एक अपील है की अगर हमारे शहीद भगत सिंह ने ऐसा सोचा होता, अगर सुभाषबाबू सरकारी नौकरी न छोड़कर अंग्रेज के साथ रहते तो उन्हें कुछ नहीं होता वोह लोग तो पहले से ही अच्छी स्थिति में थे I लेकिन इन्होने लोगो के दर्द को अपना समजा और बिना किसी के वोह आगे आये और अंग्रेजो के खिलाफ आवाज़ उठाई I उसमे से एक महज २५ साल में फांसी पे चढ़ गए तो दुसरे हवाईजहाज के हादसे में शहीद हो गए I अगर इन्होने अपना सोचा होता और यह सोचा होता की कोई हमे सहारा दे या हमे मौका दे तो आज भी हम गुलाम होते I मौका मांगने से नहीं ढूढने से मिलता है I प्रतिस्पर्धा से हासिल करना पड़ना है I जैसे नदिया अपना रास्ता खुद निकलती है वैसे हमे ही अपना आदर्श बनकर आगे बढ़ना होगा और सच में मनो हम कामियाब होगे और देश में युवावर्ग शाशन करेगा I
अंत में इस माध्यम से में युवावर्ग से यही कहना चाहता हु की आप जीवन में सारे मजे ले घुमे फिरे लेकिन देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समजे और देश के लिए जो हो सके उस तरह योगदान करे I
“माना मुसीबते लाख है रस्ते पर अपनी पाने को मंजिल को,
लेकिन खिलते है फूल गुलाब के उन्ही काटो के बीच I ”
जय हिंद I
गौरव पाठक
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