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देश में बढती महंगाई और उसपे केंद्र की उदासीनता एक गंभीर समस्या

HALLABOL
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आज भारत में खाद्य पदार्थो का महंगाई सुचिआंक दिन प्रति दिन बढ़ रहा है I दल, सब्जी, फल, दूध एवम अन्य धान्य पदार्थो की कीमत दिन दोगुनी रत चौगुनी बढ़ रही है और उसके सामने सरकारी कर्मचारियों को छोड़ कर अन्य किसी की तनख्वाह या आमदनी में बढ़ोतरी नहीं हो रही I जो खानगी कंपनियो में काम कर रहे है उनकी एवम रोज मजदूरी करनेवाले मजदूरो की हालत बहोत ही ख़राब है I आम आदमी को अब दो वक़्त दल रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिल रही है I अब आम आदमी की थाली से दाल एवम सब्जी दूर हो रही है और उनके बच्चो के लिए अब दूध भी महंगा मिल रहा है I फलो की तो बात ही करना बेकार है I यह बात हम मध्यम वर्ग एवम अन्य वर्गों की बात कर रहे है I आज रोजमर्रा की चीजे शक्कर,चाय,साबुन,आता,चावल,दाल अन्य सभी चीजो के दाम बढ़ रहे है I सरकार कोई भी कदम नहीं उठा रही I क्यूंकि हाल में भारत का जो खुदरा बाजार है वोह दलाल एवम सरकार के अधिकारियो के हाथ में है उनके इशारो पे दाम बढ़ रहे है I

भारत के कृषि मंत्री माननीय श्री शरद पवारजी अभी महंगाई से ज्यादा आईपीएल में कितना मुनाफा हुआ उसको गिनने में लगे है I जब भी उनसे महंगाई के बारे में बात करते है वोह कहते है की बारिश नहीं हुई है इसलिए फासले कम आई है और मांग के आगे पूर्ति करने लायक स्टॉक मौजूद नहीं है I पवार साहब तो जो अनाज आज फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के अनादर सड रहा है उसका क्या? एफसीआई के गोदामों में कई हजार लाख मेट्रिक टन अनाज सड रहा है वो सब क्या है ? क्या यह अनाज आपके बीचौलियो के लिए था या बाजार में कुत्रिम तौर पर तंगी या कमी बताने के लिए सरकार ने इसे छुपा के रखा था? अगर इस अनाज को गरीबो को बात होता तो देश में भुखमरी की हालत को सुधार जा सकता था एवम महंगाई भी कम हो जाती I

हकीकत में पूरा सरकारी तंत्र महंगाई के जरिये अपनी जेबे भरने में लगा है चाहे वोह कांग्रेस हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या फिर उनके सहयोगी उन सबको पता है की ५साल बाद उनकी सरकार रहे न रहे उनकी जेबे भरी होनी चाहिए I सबसे पहले सरकार ने इस अनाज को विदेश में निर्यात करने के बहाने इन गोदामों में रखा बाद में जब वह से आर्डर कैंसल हो गए तो इसे बाटने की वजह छुपा दिया और देश में एक कुत्रिम तौर पर हर चीज की तंगी कर दी ताकि मचाहे दाम मिल सके I और चीज भी देखिये साहब शक्कर,चाय,चावल,दल,सब्जी जैसी रोजमर्रा की चीजे जो हमे रोज चाहिए I बच्चो के दूध को भी नहीं बक्शा पवार साहब आपने I

सबसे बुरी हालत निम्न माध्यम एवम उन मजदूर परिवारों की है जो ज्यादातर चीजे रोज के उपयोग को ध्यान में रख कर ही खरीदते है I केंद्र का एक और मंत्रालय पेट्रोल मंत्रालय भी रोज दाम बढाकर इन चीजो की मालढुलाई पर बोज डाल रहे है जो आग में घी के बराबर है I उनको और अन्य सरकारी कर्मचारियों को तो महंगाई भत्ते में दिन प्रतिदिन इजाफा मिल जाता है पर जो खानगी कंपनी में काम करते है उनका क्या? उस मध्यम एवम मजदूर वर्ग का क्या ? आप के अमीरों एवम उच्च मध्यम परिवारों को कोई फर्क नहीं गिरता I लेकिन हमारे जैसे लोगो को फर्क गिरता है I भारत में सिर्फ २० या २५% लोग ही उच्च माध्यम वर्ग या उसके ऊपर आते है बाकी ज्यादातर लोग माध्यम परिवार है जिनको दिन प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई असर करती है I और उस पर आपकी यह चुप्पी वाकई में एक शर्मनाक बात है I

अपने आपको गरीबो का मशीहा कहने वाले राहुल गाँधी कहा है , आम लोगो के मसीहा कहलानेवाली कांग्रेस सरकार अब कहा गया आपका वोह हमदर्दपन आम आदमी के लिए? जब की आपकी सरकार में दो दो अर्थशास्त्री है एक प्रधान मंत्री दूसरा गृह मंत्री फिर भी इतनी बेकाबू महंगाई जबकि एक तरफ गोदामों में अनाज सड रहा है दूसरी तरफ एक बड़ा वर्ग उसके लिए तरस रहा है I आप तो रोज भरपेट खाना खाके सो जाते हो लेकिन कमसे कम इनको एक वक़्त का खाना तो मुहैया करवाओ?

मेरे प्यारे देशवासियो सच तो यह है की कांग्रेस भी इसी दौड़ में शामिल है और उसकी चुप्पी मज़बूरी नहीं मंजूरी है तभी अभी तक शरद पवार गद्दी पर चिपके हुए है I वाकई में देशवासियो के साथ कांग्रेस ने गद्दारी की है जूठे वादे करके सत्ता हासल की और लोगो को बेहाल कर दिया I वाकई में अब आने दो आम चुनाव तब पता चलेगा I तब ना राहुल की मासूमियत जैसी गरीबो के मसीहा बनाने की सूरत काम आयेगी ना सोनिया का कुर्सी त्याग याद आएगी तो महंगाई से तंग हुई हमारी हालत याद आएगी और तब आपके जूठे वादे कोई काम नहीं आयेगे यह मत भूलिए भले ५ साल आपके पास है लेकिन इसके बाद एक दिन हमारे पास आता है जीस दिन को आप आम चुनाव कहते है और यह दिन सबकी तकदीर बदल देता है I

हम जनता का क्या हम एक समय खाना खा के चला लेगे I एक कप चाय की जगह आधा कप चाय पि लेगे I इस साल बारिश अच्छी हो उसके लिए प्राथना करे गे लेकिंग दोबारा आप लोगो पे भरोसा कभी नहीं करेगे I जिसने आम आदमी को एक मजाक बनाया है और उनकी मज़बूरी से खिलवाड़ करनेवालों को मूक समर्थन दिया है I

अंत में एक शेर लिख रहा हु की,

“बन्दुक की गोली न डरा सकी न डरा सका बम का धमाका, आंतकवाद के सामने हमने सीखा है लड़कर जीना,
जब इन के सामने न जुके हम न पस्त हुए है हौसले, महंगाई को भी मन चुनौती सह लेगे इसको हस हस के ई”

हमे हमारे हौसले एवम भरोसे को कायम रख कर ही जीना चाहिए सरकार खास तौर पर केंद्र सरकार में सभी जिन्दा लाशे है और लाशो को कोई दर्द या भावना नहीं होती क्यूंकि उनके पास दिल नहीं होता I

जय हिंद

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