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पेट्रोलियम कंपनी के मुनाफे में कमी: घाटा कहा है भाई?

HALLABOL
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हमारी तेल कंपनियो के मुनाफे में कमी आई है जिसकी वजह से वो अब तेल की कीमतों में बढ़ोतरी करने जा रही है I मतलब अब जो पेट्रोल पहले से ही ५० रुपये से ज्यादा प्रति १ लीटर बिक रहा है वोह अब ५५ या कही पे ६० रुपये प्रति लीटर बिकने लगेगा और डीज़ल भी तक़रीबन ४०-४५ के बीच में बिकने लगेगा और इस का असर जाहिर तौर पर अपने रोजमर्रा की चीजो पर दीखेगा जिसमे उनकी कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी I भारत में कई सरकारी तेल कंपनिया है जैसे की ओऍनजीसी, ईपीसीएल, इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम जैसे सरकारी कंपनिया मौजूद है I इसके बावजूद पेट्रोल डीज़ल के दाम आयेदिन बढ़ते रहते है और इसके बदौलत महेंगाई दर भी बढती रहती है I

जबकि सच बात यह है की भारत में येही तेल जिसमे पेट्रोल ३०-३५ रुपये अधिक और डीज़ल २०-२५ रुपये के अधिक नहीं बिकना चाहिए I क्यूंकि अगर हम सब कुछ मिळाले तो भी इसकी जो उत्त्पादित कीमत होगी वोह प्रति लीटर २०-२५ से ज्यादा नहीं हो गी I लेकिन इस पे कई तरह के कर लाद कर उसकी कीमत को बढाया जाता है I

हकीक़त में ऐसा नहीं है I भारत में भी तेल का उत्त्पदन होता है I भारत में भी खनीज तेल मिलता है जो खम्भात के अखात, कृष्ण गोदावरी बेसिन, जैसे कई जगह से यह प्राप्त होता है I और भारत इसको आयात भी करता है अखाती देशो से I लेकिन हमारी सरकार की निति देखिये वो भारत में उत्तपन हुए तेल पर भी एक्स्साईज ड्यूटी लाद देते है जो की वाकई में सिर्फ विदेश से आयात वस्तुओ पर ही लग्न चाहिए I मतलब भारत में उत्त्पादित वास्तु को भी विदेशी बताना I दूसरी चीज प्रति बेरल यानि की मौजूदा समय में १२२ लीटर खनीज तेल से कितना पेट्रोल, डीज़ल उत्त्पन्न होता है वोह भी नहीं बताया जाता I हमे यह भी नहीं बताया जाता की कौनसा पेट्रोल घरेलु खनीज तेल से उत्त्प्पन किया गया है और कौनसा तेल विदेशी आयत है I मतलब सभी चीज को विदेशी मान कर एक ही तरह का बताते है I

बाद में भारत के हर राज्य के अलग अलग सेल्सटैक्स, ओक्ट्रोई टैक्स, अन्य सेस और इस को निश्चित स्थल पर लेन का वहन खर्च मिलाकर इसकी कीमत बढ़ जाती है और तगड़ी एक्स्साईज ड्यूटी अलग I जो की घरेलु उत्त्प्पादित तेल पर भी डाली जाती है I

अब मुख्य चीज यह है की अगर यह दिन प्रतिदिन तेल कंपनिया कीमत में बढ़ोतरी नहीं करेगी तो उनके जो अधिकारी है उनकी राजशाही जीवन शैली के लिए धन कहा से मिलेगा I तगड़ी तनख्वाह और उसपे अन्य भत्ते I अगर वाकई में तेल कंपनिया उसकी उत्त्प्पादित कीमत से तेल बेचना शुरू करेगे तो इन साहेबो की जीवन शैली पे असर गिरेगा I और उनके खर्चे के लिए धन कहा से आएगा I नेताओ और अन्य सरकारी अफसरों को तो इससे कोई लेना देना नहीं क्यूंकि उनको तो सरकार मुफ्त में गाडी एवम पेट्रोल डीज़ल मुहैया कराती है जिसका अंत में खर्चा आम जनता जो अपनी तनख्वाह या धंधे में से हुई आमदनी पे कर चुकाते है उनपे आता है और सरकार आये दिन इन तेल के दामो को बढाती रहती है I जबकि भारत में पेट्रोल,डीज़ल को ऐसेन्तिअल कमोडिटीस एक्ट के तेहत शामिल किया गया है और जिस की कीमत को सरकार निश्चित करती है I पैर फिर भी कोई असर नहीं I

हकीकत में इसमें हमारी भी गलती है I आज कल मिलने वाली सस्ती वाहन लोन के चक्कर में हम दो पहिया या कार ले लेते है और फिर इसका इस्तेमाल करते है I वाहन लेना अच्छी बात है क्यूंकि यह काम में आता है पैर हम इसका उपयोग ऐसे करते है जैसे यह हवा से चलता हो I नुक्कड़ पे जाना होगा तब भी हम इन वाहन में जायेगे ताकि लोगो पे अपना रौफ गिरे I लेकिन भाई साहब इस रौफ के चक्कर में आपकी जेब आये दिन ढीली हो रही है क्यूंकि भारत में तेल की मांग ज्यादा है और सामने पूर्ति कम है I इसका फायदा तेल कंपनिया उठाती है I मतलब हमे अपनी आदतों को सुधारना जरुरी है I जितना हो सके उतना ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोरतेसन का इस्तेमाल करे और बिनजरुरी निजी वाहनों का इस्तेमाल बांध करे I

और जब भी विदेशी बाजारों में खनीज तेल के दाम बढ़ते है इन तेल कंपनियो को मौका मिलता है कीमते बढ़ने का और अपनी तनख्वाह में भी बढ़ोतरी करने का क्यूंकि जितना ज्यादा मुनाफा इतनी ज्यादा इनकी जेबे भरेगी I आम जनता को भले परेशानी हो इनके मुनाफे में कमी नहीं होनी चाहिए I

इस मामले में हम कुछ नहीं कर सकते लेकिन अपनी आदतों को सुधारकर हम तेल के उपयोग को कम कर सकते है और जितना हो उसकी बचत कर सकते है I इसके लिए हमे पब्लिक ट्रांसपोरतेसन का उपयोग करना चाहिए और अपने वाहनों का रखरखाव भी अच्छे से करना चाहिए एवम सिग्नल पे वाहनों को बांध करना चाहिए I

क्यूंकि तेल कंपनिया आये दिन इसी तरह से कीमते बढाती रहेगी और मुनाफे में कमी को घाटा बताकर हमारी जेबे ढीली करती रहेगी अब यह हम पैर निर्भर है की हम इसमें से कैसे बचे और हो सके उतना तेल बचाए I

जय हिंद
गौरव पाठक

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