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क्या हमारे आज के नेता वाकई में समाज सेवक है ?

HALLABOL
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नेता यानि की जो लोगो के द्वारा चुने जाते है ऐसे व्यक्ति के तौर पर जो उनके प्रश्नों, समस्या और उनके सुजाव को उचित अधिकारी तक पहुचाए और लोगो की भावनाओ को उचित न्याय दिलवाए I और जिनके लिए जनता जनार्दन के सुख और खुशियों में अपनी ख़ुशी को ढूंढे I नेता जो की निस्वार्थ भावना से लोगो के हर काम को पूरा करे I

जब हम आज़ादी के समय की या उसके पहले की बात करते है और उस समय के लोकनायको की बात करते है तो आज के लोकनायक और उस समय के लोकनायक के बीच में जमीन आसमान का फर्क नजर आता है I उस समय के लोकनायक देश के विकास और जनता के लिए अपने निजी खजाने को भी खुला छोड़ देते नहीं छोड़ दिए थे और अपने सारे सुख एवम अपने निजी जीवन को छोड़ निस्वार्थ भाव से सिर्फ देश सेवा में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया था I ना किसी बदले की भावना न कोई मांग I

जबकि आज के ज़माने के नेता जनता की सेवा तो ठीक है करते है या नहीं लेकिन अपनी सेवा खूब आची तरह से करते है I बेचारे नेताजी दिन रात अपने एवम अपने रिश्तेदारों के निजी जीवन के लिए आर्थिक एवम सामजिक प्रश्नों के निकल में ही अपने पुरे ५ साल निकाल देते है इ जनता के प्रश्नों को सुलजाना तो ठीक है उनके प्रश्नों को संसद तक पहुचाते भी नहीं और उसको पहुचने के लिए भी पैसे लेते है I ठीक ही तो है बाद में नेतापद मिले ना मिले I उनको आज के ज़माने में सबसे ज्यादा तनख्वाह मिलती है और साथ में इतनी रियायते की ऐसी रियायते तो अमेरिका के राष्ट्रपति को भी नहीं मिलती I हवाईजहाज की मुफ्त में अपने परिवार के साथ मुसाफ़री, दूरसंदेशाव्यव्हार एवम इन्टरनेट की सुविधा भी निशुल्क और तो और पेट्रोल, डीज़ल एवम अपनी कार के रखरखाव का खर्चा भी निशुल्क I इन सब के लिए पैसा जनता ने दिए हुए आयकर और अन्य करो के रूप में प्राप्त हुए धन से मिलते है I यह धन को देश के प्रगति से ज्यादा नेतागणों के निजी एवम अन्य खर्चो के निकलने के लिए ज्यादा उपयोग किया जाता है I कितनी भी महंगाई हो नेताजी को बिना कोई तकलीफ या मांगे महंगाई भत्ते में इजाफा मिल जाता है I यह सब तो क़ानूनी तौर पर जायज आय है लेकिन अन्य तौर पर मिली आय तो अलग है I यानी की नेताजी की हाथो की १० और पैरो की १० उंगलिया घी में है I

और अपने आपको समाज सेवक कहते है I अरे पहले के नेताओ ने तो देश के लिए अपनी जान भी निस्वार्थ भाव से देदी जो आजके नेता कभी नहीं कर सकते अरे हम आपकी जान नहीं लेकिन हमारे लिए चंद वक़्त मांग रहे है ताकि हम हमारी समस्याओ को आप तक पंहुचा सके और अगर आपने इनमे से कुछ को सुलजा दिया तो हम अपने आप को भाग्यशाली मानेगे और आपको अपने आर्थिक स्थिति को सुधार ने का एक और मौका मिल जाएगा I

कृपया नेताजी आप अपने आपको समाज सेवक ना कहे तो हो नेह्तर है क्यूंकि आप को समाज सेवक कहना किसी शैतान को भगवान् का दर्जा देना है I अरे शैतान भी अपने लोगो को छोड़ देता है लेकिन आप आम जनता का खून चूसने में कोई भी कसार बाकी नहीं रख रहे और जब भी मौका मिलता है बस लग जाते हो अपनी तिजोरी को भरने में I

आज देश को ऐसे नव्युवानो की जरुर है जो आगे आये और ऐसे दीमक की तरह चीपके हुए सत्ता एवम धन के लोभिओ को खुर्सी से उखड फैके और देश के धन को देश के लिए ही खर्च करे ताकि समाज एवम देश का विकास हो ना की भ्रष्टाचार और अपना विकास हो I इस पर मेरी एक छोटी कविता है जो इस प्रकार है,

“में हु एक नेता जो की करता हु समाज सेवा,
लोगो के दुःख दूर करने का मैंने लिया है ठेका,
५ साल के लिए मिला है वक़्त मुजको करने का सेवा ,
लोगो ने चुना है मुजको अपने गन का नेता I
पर सोचो तुम लोग अरे ओ मेरे प्यारे लोगो,
अगर करूगा में सेवा आपकी तो कब हासिल करुगा धन को,
रुपये देकर टिकेट है पाया कितना हुआ है खर्चा,
जितने के लिए ऐ प्यारे कितना निकला दिवाला I
अब मिला है मौका मुजको पाने को अपने इस धन को,
करने दो मुजको पहले अपने धन की भरपाई को,
वक़्त की कोई कमी नहीं है करने को समाज की सेवा को I
वैसे भी देश का कोई रखवाला नहीं अगर है तो वोह राम और रहीम है,
आप और हम को डरने की जरुरत नहीं क्यूंकि हम राम रहीम की संतान है,
इसलिए आम जनता आप हो इन राम रहीम के हवाले,
और हम नेता समाज सेवक है इसलिए हम है सिक्यूरिटी के हवाले I
बस ऐसे ही हमको जीतते रहना करने की आप की सेवा,
पर बुरा न मानना अगर हम थोड़ी सी करदे अपनों की सेवा,
क्यूंकि हम है इस देश के नेता और हम करते है समाज सेवा I ”
में जानता हु की कई लोगो को यह अच्छा नहीं लगेगा लेकिन सोचो क्या यह सच नहीं है ? और है तो कृपया करके युवाओ को अब आगे लाइए और उनको राजनीती से जोडीये ताकि इन दीमक की तरह चीपके हुए नेताओ को हम उखड सके I

जय हिंद

गौरव पाठक I

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