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अनामत

HALLABOL
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अनामत नाम सुनकर ही लगता है जैसे कुछ चीज अपने पे उधर हो I अनामत मतलब कुछ चीज में किसी की हिस्सेदारी को पहले से जता देना I हमारे भारत देश में पिछड़े हुए वर्ग के लोगो को जैसे की सामाजिक, आर्थिक या फिर अन्य कोई भी पिछड़ी जाती के लोगो को शैक्षणिक संस्था, सरकारी नौकरी, और अन्य सभी सेक्टरो में अनामत का प्रावधान दिया गया है I

भारत जब आजाद हुआ था तब गांधीजी ने कहा था की समाज के हर वर्ग का विकास हो और एक संयुक्त भारत और समाज का निर्माण हो I इसी बात को सार्थर्क करने के लिए भारत के संविधान रचियिता श्री डॉ भीमराव बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान में इन सभी पिछड़ी जाती के लोगो को अनामत का प्रावधान रखा और उन्हें विशेष तौर पे रियायते मिलने लगी I लेकिन इस के लिए उन्होंने ने एक समय अवधि भी तय की थी जो की तक़रीबन ५० सालो की थी उसके बाद इसका प्रावधान बांध करने कहा था ताकि गांधीजी के संयुक्त भारत का निर्माण हो सके I

भारत में अनामत के तेहत रियायत पाने के लिए सिर्फ आप के पास पिछड़ी हुई जाती का एक प्रमाणपत्र होना जरुरी है जो की सर्कार द्वारा दिया जाता है I इसी प्रमाणपत्र के आधार पर आपको रियायते मिल जाती है I न कोई उसके लिए कोई चेकिंग होता है न कोई खराई और इसी चीज का फायदा कई लोगो ने गलत तरीके से उठाया है I मतलब की समाज के उन पिछड़े वर्ग में से अभी कई लोग ऐसे है जिनको इन सब चीजो का ख्याल नहीं है और आज भी उनकी हालत में कोई सुधर नहीं हुआ है I लेकिन इसका फायदा उन लोगो ने जरुर उठाया है जो इसके बारे में जानते है और जो इसके तेहत कई बार रियायते प्राप्त कर चुके है और अभी भी कर रहे है I

भारत में अनामत अब एक राजनितिक हथियार बन कर रह गया है जो जब चाहे किसी को भी दिया जाता है सिर्फ चाँद वोटो के लिए I आज हालत यह की की अगर १०० पदों पैर नियुक्ति होनी है तो उनमे से ५० पदों को अनामत के तौर पर रखा जाता है I हमें सामान्य वर्ग वालो को कोई शिकायत नहीं है लेकिन शिकायत यह है की भारत की आज़ादी के ६० साल बाद भी सरकार समाज के उन पिछड़े वर्गों की हालत को सुधार नहीं पायी है जब की अनामत का प्रावधान भी तब से है I जब जापान ६० साल के बाद तकनिकी और अर्थी तौर पे सक्षम हो सकता है जबकि उसपे परमाणु हथियार से हमला हुआ था तो हम भारत आज भी अनामत का सहारा क्यूँ ले रहे है समाज के उन पिछड़े लोगो को सक्षम बनाने के लिए जब की हमपे किसी ने परमाणु हथियारों से हमला नहीं किया है I

भाई साहब सच तो यह है की अनामत आज के राजनीतिक युग में सिर्फ वोते पाने का एक हथियार रह गया है जब चाहा उसका इस्तेमाल कर उस जाती के वोते बटोर कर अपनी खुर्सी को बचा लिया I बाद में उस पिछाड़ी जाती लोगो का विकास हो या न हो नेताजी को उससे कुछ लेना देना नहीं होता और वोह पिछड़ा आदमी पिछड़ा ही रह जाता है I और दुसरे सामान्य वर्ग के लोग उसके सामने हाथ धरकर बेथ जाते है I

मेरी उन सभी पिछड़ी जाती के एक शक्तिशाली वर्ग से अपील है की वोह सामने आये और अनामत का सही तरह से पिछड़ी जाती की आखिरी कुनबे का आदमी इसका फायदा उठा सके I जिन्होंने इस अनामत के तेहत फायदा या रियायते ले ली हो वो इस रियायत को दुसरे तक पोहचे उसके लिए स्वैछिक तौर पैर अपना प्रमाणपत्र वापिस करदे जिससे समाज का वो आम आदमी भी इसका फायदा उठा सके I

आज भारत देश इस अनामत के कारण एक जलते हुए बारूद पे बैठा है जो कभी भी फट सकता है और जब भी फटेगा भारत गृह युद्ध की तरफ जाएगा और एक भारतीय ही भारतीय का दुश्मन बन जाएगा I क्यूंकि जब किसी सामान्य वर्ग के बच्चे को ९०% फीसदी मार्क लेन के बाद भी किसी अच्छी सी मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला नहीं मिलता और ५० या ४५% मार्क वाले अनामत वाले बच्चे को दाखिला मिल जाता है तब उसकी मनोस्थिति समजने जैसी होती है I

हम आज २१ वि सदी की बाते कर रहे है और आज भी हमारे देश में हम यह कह कर अनामत का सहारा ले रहे है की हमारे समाज का आज भी बड़ा हिस्सा पिछड़ा है तो इससे बड़ी शर्म की बात भारत के लिए और कोई नहीं होगी और उसके लिए जिम्मेदार कोई और नहीं पैर नेता ही होगे जो इसका इस्तेमाल अपनी खुर्सी और नेतागिरी को बचने के लिए करते है I वोह इन पिछड़े लोगो की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते है उनको उनके सच्चे विकास में नहीं लेकिन उनके वोटो में ही रूचि रहती है और इसीलिए आज भी हम लोग अनामत को प्रावधान दे रहे है I सिर्फ अनामत देने से ही कम ख़तम नहीं होता उसका सही तौर पर इस्तेमाल हो रहा है या नहीं और उस आदमी को भी इसका फायदा मिल रहा है या नहीं जो सच में इसके लिए जरूरतमंद है I

सौ बात की एक बात आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में जहा प्रतिस्पर्धा ही एक माध्यम है प्रगति का वह अनामत के द्वारा की गयी प्रगति कितनी ठोस और जायज है ? आज विश्व का कोई भी देश अनामत को कोई जरिया नहीं मानता अपने पिछड़े वर्ग के लोगो की प्रगति के लिए उसके लिए वोह कई और तरह से उनको आगे लेट है I इसलिए भारत में भी अनामत को ख़तम करना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को ही एक माध्यम बनाना चाहिए ये सभी क्षेत्रो के लिए और जो उसके लिए लायक होगा उसको उसका फल मिलेगा तभी भारत सच्ची प्रगति कर पयीगा I

अंत में मेरे उन भाइयो और बहनों के लिए जो पिछड़ी जाती से है की में अनामत का विरोधी नहीं हु पैर नेताओ की नियत में खोट है इसी लिए आज भी आपके समाज के कई लोग पिछड़े ही है और जिनको इसका लाभ मिल चूका है वो आज नेता या आपके समाज के ठेकेदार बन चुके है I इसलिए इस जड़ को ही ख़तम करने की जरुरत है ताकि हर कोई एक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से ही प्रगति कर सके I और सरकार पैर दबाव दाल सके किसी और तरीके से विकास करने के लिए I

आओ मिल कर अनामत हटाये और प्रतिस्पर्धा को ही प्रगति का माध्यम बनाये I

जय हिंद I

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